कान्हा
अब तो आओ बनवारी तरस गए ये नैन
मिलने को तुमसे बीते दिन रैन
बनके राधा मैं तेरे रंग रंगजाउ
या बनके मीरा मैं तेरे गुड़ गाऊ
बन यशोदा मैं तुझे झूला झुलाऊ
या बन गोपिया तुझसे रास रचाऊ
आजा कन्हैया अब कब तक तरसाओगे
कब तोड़ोगे मटकी कब माखन चुराओगे
सूनी पड़ी है बंसी कब आके बजाओगे
न जाने कब तुम गोपियों संग रास रचाओगे
देखने को तुमको पूरे ब्रज को न अब चैन
मिलने को तुमसे बीते दिन रैन