कान्हा मिलन की आस लगी रे
चलो रे सांवरिया ,गोकुल नगरिया कान्हा मिलन की आस लगी रे।
आस लगी रे आस लगी रे कान्हा मिलन की आस लगी रे।
चलो रे सांवरिया ,गोकुल नगरिया कान्हा मिलन की आस लगी रे।
राधा के संग बैठा होगा ,हाथ लिए मुरली प्यारी।
सांवले सरकार की होगी सूरत फिर जग से न्यारी।
बरसाने में भी जाएगा रास रचाने प्यारा मोहन,
कैसे कहूँ ऐसी खबर, मुश्किल से मेरे हाथ लगी रे।
चलो रे सांवरिया ,गोकुल नगरिया कान्हा मिलन की आस लगी रे।
आस लगी रे आस लगी रे कान्हा मिलन की आस लगी रे।
कदम्ब की डाल पे झूला झूले ।
बंशी की धुन पर दुनिया झूमे।
मेरे मन के मंदिर में श्याम भक्ति की प्यास जगी रे।
चलो रे सांवरिया ,गोकुल नगरिया कान्हा मिलन की आस लगी रे।
आस लगी रे आस लगी रे कान्हा मिलन की आस लगी रे।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी