*”कान्हा के नाम पाती”*
पत्र लेखन
विषय – महामारी को रोकने पूरे विश्व की रक्षा करने हेतु।
कृष्ण जी को पाती
भोपाल
14 मई 2021
हे कृष्ण जी परमपिता परमेश्वर परमात्मा जी आप सर्वशक्तिमान हो सर्वज्ञ दयालु कृपा निधान हो अंतर्यामी हो……
धरती पर महामारी कोरोना से सारा जीवन अस्त व्यस्त हो गया है चारो तरफ त्राहिमाम त्राहिमाम कोहराम मचा हुआ है।
सर्दी जुकाम बुखार होते ही ऑक्सीजन लेवल कम होने पर सभी घबराहट में आनन फानन हॉस्पिटल जा रहे हैं मन मे अजीब सी दशहत फैल गई है ….*न जाने क्या होगा कैसे होगा ये सब कब ठीक होगा ….उन्हीं सवालों के साथ जीवन मृत्यु का संघर्ष जारी है।
न जाने कौन सी घड़ी कब कैसे मृत्यु का काल ग्रसित हो अपनों से रोते बिलखते परिजन छूट जाएंगे कोई भी युक्ति सही मार्ग नही मिल पा रहा है आखिर हम क्या करें …? ? यही वजह सोच सोचकर जी घबराने लगा है आधी धड़कन वैसी ही डर कर घबराहट में अंतिम सांसे ले रहा है।
समय पर दवाइयां इंजेक्शन ऑक्सीजन सिलेंडर न मिल पाने के कारण भी साँसे उखड़ने लगी है लोग ब्लेक में कालाबाजारी कर दवाइयां सिलेंडर बेच रहे हैं इतनी अंधाधुंध दोहन बढ़ते ही जा रहा है।
अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह ही नहीं है इसमें भी राजनीतिक चल रही है जिसके पास पैसे पावरफुल शक्ति है वही अपने परिजनों की देखरेख करने के लिए सक्षम होता है बाकी सभी लोग गरीबी लाचारी मजबूरियों में मारे जाते हैं।
डॉक्टरों से परामर्श लेने में भी फीस लेने लगे कई बार चक्कर लगाने के बाद ही नम्बर आता है फिर दवाई इलाज शुरू की जाती है मरीज को हॉस्पिटल ले जाने के बाद ही बांड भरवा लिया जाता है अब जान की कीमत भी वसूल लिया जाता है और कुछ अनहोनी घटनाओं के बाद शरीर भी हाथ में मुश्किल से दिया जाता है।
अपने अपनों को ही बिना देखे ही श्मशान घाट में दाह संस्कार कर दिया जाता है।
बेरोजगार व्यक्ति इस कठिन परिस्थितियों में रुपये पैसों का खर्च कहाँ से करे इतनी महंगी दवाइयां कहां से लाये उन्हें तो दो जून की रोटी भी मुश्किल से नसीब हो रही है ऐसे स्थिति में अपने परिवार को कैसे सम्हाले ….?
कहां जाये कैसे व्यवस्था करे हे प्रभु ये दयनीय हालत देखकर अब मन व्यथित हो गया है।आप तो जगत के पालनहार खेवनहार है जीवन देने वाले लेने वाले मोक्ष देने वाले भी श्री कृष्ण जी सब आप ही हो …….
धरती पर रात दिन न जाने कितनी देह सांसो के उखड़ने से अपनी जान दे चुके हैं और रोज न जाने कितनी मौत हो रही है लाश जलाने को जगह ही नही मिल रही है।
कितने धन दौलत लुटाने के बाद भी मानव शरीर को बचा नही पा रहे है आखिर ये मौत का तांडव मचा हुआ है ….आखिर कब तक ये मौत का खेल चलता रहेगा।
हे प्रभु आप तो अंतर्यामी सर्वस्व सब जानते हुए भी क्यों अनजान बने हुए हो ……
धरती पर हाहाकार मचा हुआ है अब हे प्रभु जी प्रगट हो प्राणियो की रक्षा करो इस भयंकर युद्ध महामारी से मुक्ति दिला हमारी सहायता करो।
हमने इस महामारी से पीड़ित परिवार घर में कैद होकर बहुत कुछ सीखने को भी मिला है उसे अपने जीवन में अमल लाने की कोशिश करेंगे।
हम सभी प्राणियों से जो कुछ भी भूल हुई हो उसे क्षमा कर अब शुद्ध वातावरण में सांस लेने के लिए नई दिशा चेतना दे सुरक्षित स्वस्थ रखने की प्रेरणा दो।
जो लापरवाही बरती गई है उन्हें सद्बुद्धि गीता का ज्ञान उपदेश देकर पुनः सचेत करे।
जो व्यक्ति नेक काम कर रहा है एक दूसरे की मददगार बन सच्ची सेवा निःस्वार्थ भाव से मदद कर रहा है उसे शक्ति प्रदान करें।
कुदरत जो कहर बरपा रही है प्रकृति से बारम्बार करबद्ध जोड़ विनती करते हैं अब ज्यादा से वृक्षारोपण कर पेड़ पौधे लगाकर शुद्ध वातावरण बनाये रखने का संकल्प लेंगे।
जो इस महामारी में बहुत कुछ नया मोड़ सीखने का अवसर प्रदान किया है।
मास्क लगाकर समाजिक दूरियां बनाकर चलने की कोशिश कर ली अपने अपनों परिवार जनों से दूर रहकर बिछुड़ कर भी देख लिया है।इन बीते कुछ वर्षों में हिदायतें बरती गई जो सेहतमंद साबित हुई है लेकिन घर परिवार व्यापार व्यवसाय मजदूर वर्ग सभी सिमट कर रह गए परेशानी झेलनी पड़ी इन दिनों बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
आखिर ये महामारी का प्रकोप चलता रहेगा पूजा अर्चना मंत्र जप आराधना यज्ञ हवन सभी कुछ करके देख लिया हे प्रभु अब कब तक हमारी परीक्षा लेते रहोगे धैर्य संयम सावधानी बरतने में भी कोई कसर बाकी नही रहा सारी दुनिया की जड़ी बूटियां योग व्यायाम करने की अच्छी आदत भी पड़ गई है।
अब इस महामारी का अंत करो कृष्ण जी अपने सुदर्शन चक्र घूमा कर एक वार से ही महामारी का खात्मा कर दो।
बुराइयों का नाश कर अच्छाई नेक काम करने के लिए सद्गुणों सद्विचारों का मार्गदर्शन दिखलाओ।
जाने अनजाने में जो हमसे भूल हुई गुनाह कबूल कर क्षमा याचना करते हैं हम सभी मानव जाति करबद्ध हाथ जोड़कर प्रायश्चित कर संकल्प लेते हैं अबकी बार क्षमा मांगते हैं करुण पुकार सुनकर कृपया चमत्कार दिखला दो।
हे दया सागर दयालु परमेश्वर परमात्मा अब आपका ही एक मात्र सहारा है ये जीवन नैया डगमगा डोल मंझधार में पड़ी हुई है अब आप ही प्रभु भवसागर से पार करके तारो उबारो हमारा उद्धार करो ……
हम सबकी करुण पुकार सुन लीजो,
चरण में शीश झुकाते अबकी बार क्षमा दान कर दीजो,
शरण तिहारी शशि आई अब तो विनती सुन लीजो,
दया याचिका दे उखड़ी सांसो को थाम कर जीवनदान दे दीजो।
अब कृपामयी कृपा करो अमृत कलश की बारिश कर दीजो।
आपके सभी भक्तगण?
शशिकला व्यास ✍️