कातिल नजरें
जब वह मुझे अपने कातिल नजरों से देखती है तो मुझे डर लगता है कि कहीं इश्क का शिकार ना हो जाए।
सोचता हूं कि जो बची कुची इज्जते है वह कहीं इसके चक्कर में बेकार ना हो जाए।।
शायर – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳
जब वह मुझे अपने कातिल नजरों से देखती है तो मुझे डर लगता है कि कहीं इश्क का शिकार ना हो जाए।
सोचता हूं कि जो बची कुची इज्जते है वह कहीं इसके चक्कर में बेकार ना हो जाए।।
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