काटे
मत बिछाओ किसी के रास्ते पे काटे.
ऊन रास्तो के अनगिनत होते है फाटे.
क्यूकी उन रास्तो से तुम्हारा भी पड सकता है वास्ता.
हो सकता है तब तुम्हारी हालत बहुत ही हो खस्ता..
काटे तो काटेही होते है, चूभना ही होता है उनका स्वभाव.
अपनी परायो का नही होता है उनको ज्ञान.
तुम्हीने उनको बिछाया था इसकी नही रख सकते हो पहचान.
तुम्हारे बिछाई काटो से तुम्ही हो सकते हो घायाल .
औरोको को दु:ख देने के चक्कर मे हो सकते हो बेहाल .
औरो को दुखी देखने का होता है आसुरी सुख.
लेकिन तुम्हे भी हो सकता है ओ दारूण दुःख.