कागा श्रुतिपट ले गया
कागा श्रुतिपट ले गया, सुन दौड़े इंसान ।
नहीं समझता है अपढ़, पहले देखे कान।।
हर पल जाता छोड़कर, होता समय व्यतीत ।
हो जायेंगे एक दिन, ..हम भी कभी अतीत ।।
रमेश शर्मा.
कागा श्रुतिपट ले गया, सुन दौड़े इंसान ।
नहीं समझता है अपढ़, पहले देखे कान।।
हर पल जाता छोड़कर, होता समय व्यतीत ।
हो जायेंगे एक दिन, ..हम भी कभी अतीत ।।
रमेश शर्मा.