कांग्रेस की मुख्य समस्या क्या है ?
कांग्रेस भारत की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के कार्यकर्ता आपको लगभग भारत के सभी राज्यों में मिलेंगे। इतना बड़ा संगठन होने के बावजूद भी आखिरकार कांग्रेस विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन क्यों नहीं कर पा रही है ? क्या कांग्रेस को अपने संगठन में बदलाव करने की जरूरत है ? क्या कांग्रेस अब राजनीतिक पार्टी ना होकर एनजीओ हो गई है ? क्या अब गांधी परिवार के पास पहले जैसी ताकत नहीं रह गई है ? ऐसे कई सवाल हैं जो हम सभी के मन में उत्पन्न होते हैं।
कांग्रेस की वर्तमान दशा को देखते हुए अभी यह कहना सरासर अपने आप में मूर्खता होगी कि कांग्रेस 2024 में सत्ता में आएगी। हां आजकल कांग्रेस संगठन में बदलाव की बयार दिखाई दे रही है। मगर फिर भी प्रश्न उठते हैं क्या संगठन में बदलाव करने के बाद भी कांग्रेस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी ? व्यक्तिगत तौर मुझे लगता है कि कांग्रेस को अभी अपने आप को पुनर्जीवित करने की कोशिश करनी चाहिए ना कि चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की। अगर आप कॉन्ग्रेस को राजनीतिक पार्टी के रूप में देखेंगे तो आपको साफ-साफ लगेगा की अभी कांग्रेस पार्टी बिखरी हुई है। सोचिए जो पार्टी पिछले 2 सालों से अपना पूर्ण कालीन अध्यक्ष नहीं चुन पा रही है तो उस पार्टी का अंदरूनी हाल क्या होगा ?
2014 आम चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी को लेकर लोगों के मन में एक उदासीन विचार उत्पन्न होने लगा है। कांग्रेस के कार्यकर्ता, समर्थक और नेता भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर अन्य पार्टी की ओर जा रहे हैं। आखिर क्या कारण रहे होंगे कि इस मुसीबत के समय पार्टी कार्यकर्ता, समर्थक पार्टी पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
कॉन्ग्रेस गांधी परिवार के अलावा अन्य लोगों को अध्यक्ष पद या पार्टी की कमान देने के बारे में क्यों नहीं सोचती है ? क्या गांधी परिवार के इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों ने सिर्फ अपने हितों के लिए कांग्रेस पार्टी का ऐसा हाल किया है ? आखिर वह कौन लोग हैं जो गांधी परिवार के इर्द-गिर्द रहकर कांग्रेस पार्टी को सही दिशा या कदम उठाने के लिए रोक रहे हैं ? कांग्रेस पार्टी के सही दिशा और कदम उठाने से किन लोगों को नुकसान होगा ? क्या एक बाहरी व्यक्ति के आ जाने से पार्टी में सुधार हो जाएगा ? और वह कौन लोग हैं जो पार्टी में सुधार करना ही नहीं चाहते हैं ?
कई राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस पार्टी की मुख्य समस्या उसके अंदरूनी अंतर्कलह है। कांग्रेस के अधिकतर नेता सिर्फ अपने स्वार्थ के बारे में सोचते हैं। पार्टी में बदलाव करने हैं तो पार्टी को कड़े फैसले लेने होंगे। अगर पार्टी को अपना अस्तित्व बचाना है तो पार्टी को बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना होगा। कांग्रेस पार्टी के सभी नेताओं को अपने अपने क्षेत्र में जनसंपर्क कर जन मुद्दों को उठाने होंगे। सभी नेताओं को ऐसे वैसे बयान देने से बचना होगा। टीवी डिबेटओं के लिए नए प्रवक्ताओं को लाना होगा जो अपनी बात को प्रखरता से रख सकें। परिवारवाद से जितना हो सके बचने की कोशिश करनी चाहिए और हिंदू मुस्लिम, दलित, ब्राह्मण जैसे फालतू मुद्दों से हटकर महंगाई, रोजगार, स्वास्थ्य, सुविधाएं इत्यादि जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहिए।
अगर कांग्रेस पार्टी को लगता है कि वह गांधी परिवार के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को अध्यक्ष पद या पार्टी की कमान नहीं दे सकते हैं तो फिर पार्टी के किसी साधारण नेता को अध्यक्ष बनाकर गांधी परिवार को अपने अनुसार पार्टी में सुधार करने की कोशिश करनी चाहिए। जिस तरह पार्टी ने 2004 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद एक ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाया जो गांधी परिवार के अनुसार काम करता रहा। जिससे पार्टी ने 10 साल सत्ता का सुख भोगा। एक राजनीतिक पार्टी होने के नाते हर पार्टी का एक ही मकसद होता है सत्ता हासिल करना। चाहे सत्ता के लिए संगठन में बदलाव की जरूरत हो या शाम, दंड, भेद की जरूरत हो।
कांग्रेस के नेता आलसी हो गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब कांग्रेस इतने लंबे समय के लिए सत्ता से दूर हुई है। कांग्रेस के नेताओं को एसी में बैठने की आदत हो गई है। बिना मेहनत किए हुए सत्ता का सुख भोगने का नशा हो गया है। इन सभी चीजों से कांग्रेस नेताओं को उभरने की जरूरत है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने की जरूरत है, अगर हो सके तो हर सांसद, विधायक और पूर्व सांसद, पूर्व विधायक को सोशल मीडिया के लिए एक व्यक्ति की नियुक्ति करने की जरूरत है। सभी नेताओं को बैठकर मंथन करने की जरूरत है। मंथन करने के बाद जो भी सुझाव या हल निकलता है, उसे जमीनी स्तर यानि जनता तक ले जाने के लिए जी-जान से कोशिश करनी चाहिए। तभी कॉन्ग्रेस सत्ता में वापस आ सकती है अन्यथा कांग्रेस अपने ही अंदरूनी कलह में उलझ सिर्फ एक एनजीओ रह जाएगी।
अगर आप कांग्रेस समर्थक, कार्यकर्ता और राजनेता हैं तो आपको इन बातों को अपने शीर्ष नेताओं तक पहुंचाने की जरूरत है। बाकी आपको तय करना है सत्ता सुख भोगना है या फिर एनजीओ में रहकर समाज सेवा करनी है।
– दीपक कोहली