काँच सा नाजुक मेरा दिल इस तरह टूटा बिखरकर
काँच सा नाजुक मेरा दिल इस तरह टूटा बिखरकर
पत्थरों के वार सहकर हो गया ये आज पत्थर
प्यार की बरसात में भीगा हुआ रोता रहा दिल
जब भँवर में छोड़कर उसको गया उसका ही साहिल
पर किनारे आ गई मैं हाथ लहरों का पकड़कर
काँच सा नाजुक मेरा दिल इस तरह टूटा बिखरकर
पास आ आकर मुझे ही आइना सबने दिखाया
सब किया मेरा भुलाकर गलतियों को ही गिनाया
मैं झुकी जितना,दिखाया उतना ही मुझको अकड़कर
काँच सा नाजुक मेरा दिल इस तरह टूटा बिखरकर
आँसुओं के साथ है अब खिलखिलाना मुस्कुराना
कंटकों के बीच से ही है मुझे रस्ता बनाना
आ गया पीना मुझे अपमान के भी घूँट हँसकर
काँच सा नाजुक मेरा दिल इस तरह टूटा बिखरकर
29-08-2022
डॉ अर्चना गुप्ता