क़लम के फ़नकार
कोई जिस्म बेचता है
कोई जान बेचता है
मज़बूरी में, हाय
क्या-क्या
इंसान बेचता है
मैं तो फ़न बेचता हूं
मैं हूं एक फ़नकार
मैं बस फ़न बेचता हूं
है जी कोई खरीददार
मैं तो फ़न बेचता हूं…
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