क़त्ल कर गया तो क्या हुआ, इश्क़ ही तो है-
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
शीर्षक :मैंने हर मंज़र देखा है
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
सांसों की इस सेज पर, सपनों की हर रात।
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
उदासीनता के शिखर श्रेष्ठ ने, यूँ हीं तो नहीं अपनाया है।
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक arun atript
खुश रहोगे कि ना बेईमान बनो
रस्ता मिला न मंज़िल रहबर की रहबरी में
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
खूबसूरती एक खूबसूरत एहसास