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4 Mar 2023 · 1 min read

क़तील की तरह

वो है ताबूत में आखिरी कील की तरह
झपट लेता है हर मौका चील की तरह।
गल्तियां करके भी मानते हैं कहाँ हुजूर
देने लगतें है सफाई वकील की तरह ।
हर एक किरदार में ढल कर देख लिया
मगर फितरत है पुराने दलील की तरह।
मोहताज हैं मोहतरम तजुर्बों का बेशक़
भले हो सुरत उनकी ज़मील की तरह ।
चलो ठीक है जी रहे हैं जो वो भरम में
कौन समझता है उन्हें क़तील की तरह।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
1 Like · 140 Views
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