कह रहा है वक़्त,तुम वफादार रहो
कह रहा है वक़्त, तुम वफादार रहो।
मुसीबत में है वतन, तुम खबरदार रहो।।
करें नहीं कोई , तुमको आपस में जुदा।
ऐसे में तुम आपस में, बनकर यार रहो।।
कह रहा है वक़्त ———————–।।
लड़ा रहे हैं कुछ लोग, यहाँ यह कहकर।
हिन्दू- मुस्लिम, ईश्वर- खुदा में भेद बताकर।।
मरवा रहे हैं लोगों को, जो जाति धर्म के नाम पर।
ऐसे लोगों से हमेशा तुम, यारों दूर रहो।।
कह रहा है वक़्त————————–।।
बड़े जतन से यह मुल्क, आबाद हुआ है।
वीरों का लहू से यह देश, आज़ाद हुआ है।।
अब फर्ज है अपना, इसकी हम हिफाजत करें।
यह जिंदगी है तुम्हारी, इससे वफ़ा तुम रहो।।
कह रहा है वक़्त—————————।।
ये फूल इस चमन के, सदा गुलजार रहें।
ये चिराग इस फिजां में, सदा रोशन रहें।।
अपने मतलब के लिए तो, जीते हैं यहाँ सभी।
मगर तुम अपने वतन के लिए भी, जीते रहो।।
कह रहा है वक़्त—————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)