कह मुकरी
अपना गलहार बनाती हूँ
उस पर मैं जान लुटाती हूँ
ऐसा मुझ पर जादू डाला
का सखि साजन, ना सखि माला
ये तो हैं चित चोर हमारे
मुझको लगते सबसे प्यारे
मन में इनकी करूँ अर्चना
का सखि साजन, ना सखि कृष्ना
वैसे तो हैं प्यार लुटाते
गुस्से में तांडव दिखलाते
भोले हैं बच्चों से बढ़कर
का सखि साजन, ना शिव शंकर
3-07-2017
डॉ अर्चना गुप्ता