कह न पाई मै,बस सोचती रही
कह न पाई मै बस सोचती रही।
अपने जज्बातों से तोलती रही।।
सुना नही तुमने मुझको कभी।
मै तुमसे सब बाते बोलती रही।।
छोड़ दिया तुमने मुझे मोड़ पर।
मै तुम्हे मुड़मुड़ कर देखती रही।।
खोला नही तुमने राज दिल का।
मै अपने सारे राज खोलती रही।।
आ गया जब उम्र का आखरी पड़ाव।
मै ही अपने आप को नोचती रही।।
रस्तोगी और क्या बताए दिल की बाते।
मै बोलता रहा,कलम ही लिखती रही।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम