कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
यहां रूठकर क्यों अभी वो गई है।
करूं कोशिशें है मनाना उसे फिर।
मगर आज किस्मत कहूं रो गई है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०८/११/२०२३
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
यहां रूठकर क्यों अभी वो गई है।
करूं कोशिशें है मनाना उसे फिर।
मगर आज किस्मत कहूं रो गई है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०८/११/२०२३