कहीं पतंगे लड़ी है ____ घनाक्षरी
रंग रंग की पतंगे लिए उमंगे तरंगे ।
मांझे संग उड़ रही देखिए आकाश में।।
आस पास छतों के तो हर कोई घूम रहा।
झूम झूम झूम रहा देख के आकाश में।।
कही पतंगे लड़ी है अंखियां भी कहां रुकी।
पक रही खिचड़ी भी प्यार की तलाश मैं।।
तिल गुड़ की मिठास से मुंह मीठा कर रहे।
मन मिले ऐसे मिले दिन के प्रकाश में।।
********************************
राजेश व्यास अनुनय