कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है,
आवाज तो मैंने भी सुना है,
बरखा होने से पहले,
आवाज तो सब ने सुना है।
सुन रखा है मैंने भी,
जहां अभी भभूत है,
चुपके से दिलों में बसे,
सुलगते जज़्बात तो दिखा होगा।
देख भी रखा है मैंने भी,
चांदनी रात में चांदों का ओझल,
सितारों की खोज में जब रात गुजरना,
और तेरे मोहब्बत में मोहब्बत को
कसौटी पर कसना…..
गौतम साव