कहा था जिसे अपना दुश्मन सभी ने
कहा था जिसे अपना दुश्मन सभी ने
भँवर से निकाला हमें तो उसी ने
जिसे मैं समझता रहा दोस्त अपना
मेरी पीठ में घोंपा खंजर उसी ने
न मुझको रहा दोस्ती पे भरोसा
सबक इस तरह का सिखाया किसी ने
सभी तो फ़क़त ख़ूब हँसते थे मुझ पे
हँसाया नहीं पर कभी भी किसी ने
लगा याद करने पुराने ज़माने
वो दिन सब बुरे थे बताया ‘अभी’ ने
-जॉनी अहमद क़ैस