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24 Sep 2024 · 1 min read

कहा कृष्ण ने –

कहा कृष्ण ने- युद्धभूमि में रोपो पार्थ चमेली
चिंतन नया उगाओ जग में, कविता रचो नवेली

कर्म करो पर साथ धर्म के, हिंसा मत फैलाओ
मर्मस्पर्शी बनो वीरवर, वाक्-जाल न बिछाओ
रच दो वह परिवेश कि जिसमें प्रजा करे अठखेली

खोलो सभी गवाक्ष, सदन में करो सभी का स्वागत
सबको दे सुस्पष्ट दिखाई आगत विगत अनागत
माँ बहनें बेटियाँ कभी, दुख पाएँ नहीं अकेली

असमय कोई माँग न उजड़े, अनपढ़ रहे न कोई
कोई रमणी कभी विरह में रहे न खोयी खोयी
सब उत्सव अनवरत मनाएँ, प्रथा चले अलबेली

सभी समत्व योग के योगी बनकर जीवन काटें
वसुधा को कुटुम्ब मानें औ’ इसमें खण्ड न बाँटें
पांचाली को त्रास न हो, हर कुब्जा बने सहेली ।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
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