कहानी -अभागन
लड़की हुई है ! नर्स ने आकर सरला देवी को बधाई दी, लक्ष्मी आई है ,मिठाई बंटवाइए आप ।
हुंह । मुंह सिकोड़ लिया सरला जी ने। हालांकि पहली ही पोती आई थी । उनके सुपुत्र सुधीर के । पर हाय रे मानसिकता तो आज भी पुत्र के जन्म की ही बनी हुई है लोगों की।
सुधीर ख़ुश था पर मॉं को देखकर सहम गया।
“शुरुआत ही लड़की से की है अभागन गीता ने। मायके में बहने बसी है भाई है नहीं और यहां भी लड़की! भाग फूट गये सुधीर तेरे तो!” सरला जी बड़बड़ाने लगी।
पर मॉं…. सुधीर ने कुछ कहना चाहा।
सरला जी ने बात काट दी और कहा जा तू तो आफिस जा यहां हम है और हां इसकी एक बहन को फोन कर दे अस्पताल में रूकने के लिए मैं नहीं रहने वाली घर पर सौ-सौ काम पड़े हैं।
सुधीर बड़ा दुखी हुआ कुछ सोच कर उसने मॉं का हाथ अपने हाथ में थाम लिया और बड़े प्यार से बोला -मॉं ! सुनो आपकी बहू अभागन कहाॅं है? आप जैसी ममतामई सास और संस्कारी बेटा जब उसके साथ है तो,बेटी के जन्म से तो हमारे घर में सुख समृद्धि के द्वार खुले हैं आप खुद एक औरत है…. जानती है ना पीहर और ससुराल दोनों का दायित्व एक औरत कितनी खुशी से निभाती है अभाव में रहकर भी सभी की खुशियां पूरी करने में जूटी रहती है। मॉं हमारी बिटिया अभागन नहीं भाग्यशाली है,हैं ना मॉं! कहते हुए सुधीर रोने लगा।
सरला जी भी रो उठी और फिर दोनों मॉं बेटे बहू औ पोती से मिलने अस्पताल के रूम में पहुंच गए।
पोती को हाथों में संभाले वो उसे प्यार करने लगी। बहू की ऑंखे छलछला उठी।
योगमाया शर्मा
कोटा राजस्थान