Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2023 · 2 min read

कहाँ हो जानम!

कहाँ हो जानम!

तुम्हें चाँद पे ढूँढू या फिर सूरज के मकान पर ढूँढू,
ढूँढू तूम्हें समंदर की मौजों में या फिर साहिल के मचान पर ढूँढू?
ना तुम चकोर हो,ना तुम किरणों का शोर हो,
ना तुम सफीना हो,ना तुम कश्ती का नगीना हो,
फिर तुम्हे क्यों ढूँढू?

तुम्हें बादलों के गाँव में ढूँढू या फिर घटाओं की गलियों में ढूँढू,
ढूँढू तुम्हे आसमां की दीवारों पर या फिर आकाशगंगा की
रंगरलियों में ढूँढू?
ना तुम बारिश हो,ना तुम तूफ़ान हो,
ना तुम सितारे हो,ना तुम सैयारे हो,
फिर तुम्हें क्यों ढूँढू?

तुम्हें पहाड़ों के पड़ावों में ढूँढू या फिर नदियों के बहावो में ढूँढू,
ढूँढू तुम्हें चरागाह की प्याली में या फिर खेतों की हरियाली में ढूँढू?
ना तुम चढाई हो,ना तुम उतराई हो,
ना तुम गडरिये हो,ना तुम फसलों की चटाई हो,
फिर तुम्हें क्यों ढूँढू?

तुम्हें लफ्ज़ो में ढूँढू या फिर मिसरे में ढूँढू,
तुम्हें शेर में ढूँढू या फिर ग़ज़लों के जज़ीरे में ढूँढू,
ना तुम उनवान हो,ना कोई कलाम हो,
ना तुम नज़्म हो,ना कोई बज़्म हो,
फिर तुम्हें क्यों ढूँढू?

ये सोचते-सोचते कि मैं तुम्हें कहाँ ढूँढू,
मुझे याद आया कि मैंने तुम्हें अपने दिल की तिज़ोरी में
सहेज कर रखा है,
अपने जज़्बातों को तुम्हारे लिए समेट कर रखा है,
तुम्हें पाकर खोया है खुदको,
तुमसे एक हसीन रिश्ता बनाये रखा है।

कहाँ हो जानम -ये सवाल अब बेतुका सा लगता है
क्योंकि तुम दिल में हो जानम,
धड़कनो में बसर करते हो,
लहू से बहते हो रोम-रोम में,
तुम हम पर दुआओं सा असर करते हो।

सोनल निर्मल नमिता

75 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बेवफा सनम
बेवफा सनम
Santosh kumar Miri
मौसम तुझको देखते ,
मौसम तुझको देखते ,
sushil sarna
सुन सुन कर बोल
सुन सुन कर बोल
Baldev Chauhan
मैंने देखा है ये सब होते हुए,
मैंने देखा है ये सब होते हुए,
Jyoti Roshni
मां शारदे कृपा बरसाओ
मां शारदे कृपा बरसाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
*जीवन खड़ी चढ़ाई सीढ़ी है सीढ़ियों में जाने का रास्ता है लेक
*जीवन खड़ी चढ़ाई सीढ़ी है सीढ़ियों में जाने का रास्ता है लेक
Shashi kala vyas
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा
Dr Archana Gupta
हाँ, तैयार हूँ मैं
हाँ, तैयार हूँ मैं
gurudeenverma198
सावन का मेला
सावन का मेला
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
चंद्रयान ३
चंद्रयान ३
प्रदीप कुमार गुप्ता
हिंग्लिश
हिंग्लिश
Shailendra Aseem
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
Taj Mohammad
छोड़ो नफरत और अदावट....
छोड़ो नफरत और अदावट....
डॉ.सीमा अग्रवाल
'सिकुड़न'
'सिकुड़न'
Rashmi Sanjay
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
*आए दिन त्योहार के, मस्ती और उमंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सत्य की यात्रा
सत्य की यात्रा
ललकार भारद्वाज
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
Shweta Soni
13. पुष्पों की क्यारी
13. पुष्पों की क्यारी
Rajeev Dutta
●शुभ-रात्रि●
●शुभ-रात्रि●
*प्रणय*
आधुनिकता का दंश
आधुनिकता का दंश
Sudhir srivastava
सुस्त पड़ी हर दस्तक,थम गई हर आहट
सुस्त पड़ी हर दस्तक,थम गई हर आहट
पूर्वार्थ
प्रीति
प्रीति
Mahesh Tiwari 'Ayan'
ललक लालसा और लालच
ललक लालसा और लालच
Nitin Kulkarni
देशभक्ति
देशभक्ति
Pratibha Pandey
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
कुछ नहीं
कुछ नहीं
Kunal Kanth
समय का प्रवाह
समय का प्रवाह
Rambali Mishra
कोई गीता समझता है कोई कुरान पढ़ता है ।
कोई गीता समझता है कोई कुरान पढ़ता है ।
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...