कहाँ है!
छिप -छिपकर करते थे बातें यादों की बारात कहाँ है !
आभासी अब प्यार के मौसम वो रुत वो बरसात कहाँ है !
सौलह -सत्रह की बालि उमरिया वो चंचल सी आब कहाँ है!
हर शब मुझसे चाँद है पूछे वो आँखें वो ख़्वाब कहाँ हैं!
पहले होतीं थी जो इश्क में वैसी सी अब बात कहाँ है!
इंतजार में तारे गिनना वो ‘नीलम’अंबर वो रात कहाँ है !
नीलम शर्मा ✍️