कहाँ लिखता है
जमीं लिखता है आसमां लिखता है
हकीक़तर – ए दिल कोई कहाँ लिखता है
तुम न बताओ भले ही राज़ अपना
तेरे हद को तो तेरा गुमां लिखता है
उड़ते परिन्दे ने बताया है ये मुझसे
हौंसला कोई भी हो तूफां लिखता है
हुस्न की तामीर मोहब्बत में क्यों पढ़ो
चेहरे पे कोई कहा दिलो जां लिखता है
परछाईयाँ भी उड़ती हैं “महज”रोशनी हो
हर बात को नही कोई आईना लिखता है