कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
मेरा हाथ छोड़कर, मेरा साथ छोड़कर।
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर।।
मेरा हाथ छोड़कर———————–।।
बड़ा अनमोल है दिल, खिलौना नहीं है।
सुनो इसकी धड़कन, इसको रुलाना नहीं है।।
करके सितम दिल पर, जख्म दिल को देकर।
कहाँ चल दिये तुम, राह में छोड़कर।।
मेरा हाथ छोड़कर———————–।।
तेरा प्यार सच्चा नहीं, दिल भी अच्छा नहीं।
बदलते हो पल में साथी, इरादा अच्छा नहीं।।
मुँह पर करके पर्दा, नजरें चुराकर।
कहाँ चल दिये तुम, चुनरी को ओढ़कर।।
मेरा हाथ छोड़कर———————–।।
लगाते नहीं सीने से, तुम पहले हमको।
करते नहीं मोहब्बत, तुम पहले हमको।।
वफ़ा क्यों की पहले, कसमें क्यों तोड़ी।
कहाँ चल दिये तुम, मेरा दिल तोड़कर।।
मेरा हाथ छोड़कर———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)