कहाँ चले गए
तरस रहे ये नैन हमारे
कहाँ किधर तुम चले गए।
गहरी सी छवि दिखाकर
कहाँ किधर तुम चले गए।
आवाज आई थी कानों पर
कहाँ किधर तुम चले गए।
उम्मीद आँखों मे जगाकर
कहाँ किधर तुम चले गए।
ख्वाब हरियाली का दिखाकर
कहाँ किधर तुम चले गए।
अंगारों जैसी धूप हटाकर
कहाँ किधर तुम चले गए।
बरखा की आहट सुनाकर
कहाँ किधर तुम चले गए।
ईश्वर इच्छा का पालन कर
कहाँ किधर तुम चले गए।।