— कहाँ गए वो लोग –
वक्त वक्त की बात है…
कुछ न कुछ तो कहा करते थे खम्बे पर लम्बे चौड़े लटके हुए होर्डिंग्स
न जाने अब कहना खो गए सारे के सारे
जहाँ देखो इनका बोलबाला हुआ करता था…
कोई खम्बा या कोई बढिया सी जगह खाली नही रहनी चाहिए ,
चप्पे चप्पे पर इनका नाम लगा होर्डिंग्स मिल जाता था…
आज जब ऐसी बुरी स्थिति आयी है , तो खुद ब खुद देख लो …
क्या कहीं नजर आ रहे हैं ये महानुभाव आपको , किसी की मदद करने के लिए
यह अपनी झोली भर लें, अपनी जान बचा ले…यही काफी है. ..
मदद आप सब की भी वो उप्पर वाला ही कर रहा है, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से…
सुबह , दोपहर, शाम और रात को दवा खाने से अच्छा है, उस के सानिध्य में रहो, उस का हर पहर गुणगान करो…मुझे भी बहुत से लोगों ने कहा, कि कुछ नही होगा, बहुत गुणगान की बात लिखते हो आप, पर मैं, मैं कहाँ मानने वाला ऐसे लोगों की बातें…इश्वर है, इश्वर था और इश्वर सदा रहेगा.यही सत्य है .बन्धु////
मैं तो कहता हूँ, जिस विधि भी रखना चाहो प्रभु , रख लो..
जान से बढ़कर तो कुछ है नही…
पैदा तो आपने ही किया है…भेजा तो धरती पर आपने ही है..
अगर मर कर , और कुछ दुनिया को कहकर जान चली भी जायेगी तो..कोई गम नही
तेरे आशीर्वाद से परमात्मा मेरा हर काम हो गया है, तेरे दिए आशीर्वाद से मैं आजतक कहीं रूका नही, तू ही तो है, पल में हर काम करता है..फिर मेरे जैसे इंसान को भला किसी की मदद किस लिए चाहिए, जब तूने ही मेरा हाथ पकड़ रखा है…
अजीत कुमार तलवार
मेरठ