कहाँ गइलू पँखिया पसार ये चिरई
कहाँ गइलू पँखिया पसार ये चिरई
कहाँ गइलू पँखिया पसार
बिन दरसन मन रोज कुम्हिलाला
अब गछिया प चहँकल ना सुनाला
सुन लागे गँउवा जवार ये चिरई
कहाँ गइलू पँखिया पसार
चिरई हो तहरा के खोजनी कहाँ ना
कहँवा बनऽवलू तू जाई के ठिकाना
खोजते बीती का दिन चार ये चिरई
कहाँ गइलू पँखिया पसार
तहरा से भेंट होई अब ना बुझाला
मनवा के रोजे रोज काठ मारि जाला
सुनलु ना अबले पुकार ये चिरई
कहाँ गइलू पँखिया पसार
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 05/08/2023