कहवां जाइं
ताना मारे मेहरी गारी देवेले भउजाई ,
बोला कहवां जाइं ।
अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,
बोला कहवां जाइं ।
प्यार के प ना जनलीं कब्बो गइनी ना मधुशाला हो ।
करिया अक्षर करिए रह गइल दौड़ीं रोज शिवाला हो
सावन हव भकसावन लागे बुन्नी जस मरचाई ।
बोला कहवां जाइं ।
अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,
बोला कहवां जाइं ।
गंगा के समझउता दंगा कइले बा मझधार हो ।
का होइ जे घर डूब जाइ बाटे ना रोजगार हो ।
बित्ता भर क हवे खलित्ता छुच्छे गाल बजाईं ।
बोला कहवां जाइं ।
अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,
बोला कहवां जाइं ।
बेहया के ई फूल पफन के केतना खुश्बू पाई हो ।
बस एतने किरपा कयी दा की सउख पूरा कर जाईं हो
न सुनबा त सोम्मारे के अबकी जहर खवाई ।
बोला कहवां जाइं ।
अनपढ़ हमसे करें ढिठाई ,
बोला कहवां जाइं ।
~ धीरेन्द्र पांचाल