Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2024 · 1 min read

“कहने को हैरत-अंगेज के अलावा कुछ नहीं है ll

“कहने को हैरत-अंगेज के अलावा कुछ नहीं है ll
असल में दुनिया फरेब के अलावा कुछ नहीं है ll

मुश्किलों की चारदीवारी में कैद है,
जिंदगी उम्रकैद के अलावा कुछ नहीं है ll

मेरे पास प्रेम के अलावा कुछ नहीं है,
तुम्हारे पास ऐब के अलावा कुछ नहीं हैं ll

भविष्य स्वप्न के अलावा कुछ नहीं है,
और भूत खेद के अलावा कुछ नहीं है ll

मनमुटाव के कटाव रिश्तों को कमजोर कर रहे,
मेल-जोल भी मतभेद के अलावा कुछ नहीं है ll”

44 Views

You may also like these posts

Use your money to:
Use your money to:
पूर्वार्थ
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
4431.*पूर्णिका*
4431.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
Rj Anand Prajapati
सरकार से हिसाब
सरकार से हिसाब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रौशनी का गुलाम
रौशनी का गुलाम
Vivek Pandey
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कर्म पथ पर
कर्म पथ पर
surenderpal vaidya
सुहागन की अभिलाषा🙏
सुहागन की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
लक्ष्मी माता की कृपा पाने के लिए उनके वाहन का पूजन आवश्यक है
लक्ष्मी माता की कृपा पाने के लिए उनके वाहन का पूजन आवश्यक है
*प्रणय*
*तीन कवियों ने मिलकर बनाई एक कुंडलिया*
*तीन कवियों ने मिलकर बनाई एक कुंडलिया*
Ravi Prakash
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Manisha Manjari
Nowadays doing nothing is doing everything.
Nowadays doing nothing is doing everything.
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
आप प्लस हम माइनस, कैसे हो गठजोड़ ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
अक्स मेरा
अक्स मेरा
Dr Mukesh 'Aseemit'
दिवास्वप्न
दिवास्वप्न
Shyam Sundar Subramanian
शारदीय नवरात्र
शारदीय नवरात्र
Neeraj Agarwal
ये कैसा घर है ....
ये कैसा घर है ....
sushil sarna
पितर पाख
पितर पाख
Mukesh Kumar Sonkar
गीता सार
गीता सार
Rajesh Kumar Kaurav
" सच्चाई "
Dr. Kishan tandon kranti
ञ'पर क्या लिखूं
ञ'पर क्या लिखूं
Satish Srijan
बदसलूकी
बदसलूकी
Minal Aggarwal
शाम ढलते ही
शाम ढलते ही
Davina Amar Thakral
मृत्योत्सव
मृत्योत्सव
Acharya Rama Nand Mandal
भरम हमारे
भरम हमारे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बचपन रोता-मुसकाता है
बचपन रोता-मुसकाता है
कुमार अविनाश 'केसर'
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बिजलियों का दौर
बिजलियों का दौर
अरशद रसूल बदायूंनी
Loading...