कहना आसान है
बहुत ही आसान है सुंदर और प्रभावी व्याख्यान देना अथवा लिख देना।
जीवन के कठिन तम पहलुओं को सहजता से उकेर देना।
गांव के कठिन और जटिल जीवन की कहानियां बनाना अथवा लिख देना।
मरुस्थल के सुन्दर और दुर्लभ चित्र कैमरे में कैद करके प्रकृति के नजदीक ले जाना।
वास्तव में कठिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन है केवल एक ही क्षण उस वास्तविकता में जीवन जी लेना।
हजारों कहानियां ,पोस्ट रोज प्यार और संगठन पर डाली जाती हैं।
फिर क्यों घरों में रिश्तों की फुलवारियां मुरझाई जाती है।
लिखा जाता है सम्मान करो बुजुर्गों का फिर क्यों घरों में रिश्तों की धज्जियां उड़ाई जाती है।
हजारों कथन बताए जाते हैं भेदभाव मिटाने को फिर क्यों घरों में जन्म दात्री स्वार्थी बन जाती है।
बहुत ही आसान है मां बन जाना किन्तु कठिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन है संतान को समभाव वात्सल्य देना।
कहना देना आसान है कि जरुरत मंद की मदद करेंगे।
अपनी आय का एक निश्चित भाग कहीं भी किसी पुण्य कार्य में व्यय करेंगे।
किसी गरीब का आशियाना उजड़ने नहीं देंगे।
बड़ी बड़ी पोस्ट डालेंगे और वाह वाह करेंगे।
किन्तु वास्तव में रेखा हम सभी पहल करने में आनाकानी करेंगे।
इसे कहते हैं कि कल्पना के सागर में सिर्फ आनन्द के गोते लेना।