* कहता है नबी *
आज झूठ और भ्रष्टाचार इतने हावी हैं कि लोगों को हरे पत्तों के सिवाय कुछ भी नज़रनहींआता उसर में भी हरियाली ही ढूंढते हैं।। मधुबैरागी
कहता है नबी गर मेरे इशारे पे चले तो मैं तुझे जन्नत दे दूं
गर चले मेरे इशारे पे तो मैं तुझे मुंँहमांगी मन्नत दे दूं ।।
मधुप बैरागी
गुनाह कुछ लोग करते हैं और सजा
कुछ लोग भरते हैं
सजा के काबिल हैं वो जो
बेवजह जमाने से डरते हैं ।।
मधुप बैरागी
पत्ता भी जब बिना उसकी मर्जी के नहीं हिल सकता तो इंसान की क्या औकात कि बगैर उसकी मर्जी के
जो एक कदम भी बढा सके ।।
मधुप बैरागी
आदमी की जंग जन्म लेने के साथ ही
शुरू हो जाती है
और
जो मृत्यु के साथ ही ख़त्म होती है ।।.
मधुप बैरागी