*****कसमें और वादे*****
*****कसमें और वादे*****
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कसमे भी हैँ और वादे भी है,
शिकवे और शिकायते भी हैँ।
छल कपट से हम कोसों दूर,
प्यार के मन मे इरादे भी है।
अमीर नहीं हम गरीब नहीं,
प्रीत के अपने कायदे भी हैँ।
फूलों सी चहकती महकती,
मिसरी सी मीठी यादें भी है।
मनसीरत है सावन बूंदों सा,
अंतर्मन में फरियादें भी हैँ।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)