* कष्ट में *
** मुक्तक **
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कष्ट में कोई दिखे लेकिन कदम थम ही न पाएं।
मात्र अपने स्वार्थ हित जो जिन्दगी को नित बिताएं।
इस धरा पर बोझ बनकर जी रहे हैं लोग ऐसे।
व्यर्थ है जीवन अगर छलकें नहीं संवेदनाएं।
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देख मजबूरी गरीबों को नहीं लूटें कभी भी।
कर्म हों ऐसे किसी का मन नहीं टूटे कभी भी।
मात्र जीवों के लिए मन में जगे संवेदनाएं।
मुश्किलों में साथ अपनों का नहीं छूटे कभी भी।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य