कष्ट में है भागीरथी
कष्ट में है आज भागीरथी ।
हर और जो व्याप्त दुर्मति।।
कल नारी की थी पूजा होती।
है आज वो तिरस्कृत होती।।
कल भगीरथ सम थे तपस्वी ।
ज्ञानवान ओजस्वी मनस्वी।।
आज चहुँओर है दर्शित अत्याचार ।
पापाचार ,दुराचार और अनाचार।।
संकटग्रस्त है अब भागीरथी का जीवन।
प्रदुषित होकर नष्ट हो गया जल -जीवन।।
आज चहुँऔर है घना अंधियारा छाया।
काला मन ,काला तन और काली काया।।
आज संतापहारिणी हो गयी है संतापरत।
पापमोचिनी भी पापमोचन में है असमर्थ ।।
कल जो प्रसून की थी सर्वत्र पूजा होती।
आज वो यों ही व्यर्थ में कुचली है जाती।।
कल माता-पिता का था होता बहुत आदर।
है आज उन्हें घर से बाहर निकाला जाता।।
मित्रों अब बताओ कैसे कष्ट में न हो भागीरथी ।
जो स्वयं ही ममतामयी माता है पुकारी जाती।।