कश्मीर का दर्द-२
शहीद ले.उमर फैयाज़ को समर्पित (५ हाइकु)
१
झेलम तीरे
पहले जैसा समाँ !
सुकूँ नहीं रे।
२
पके अनार
पड़ोसियों का प्यार
अब दुष्वार।
३
सोच बीमार
कशमीर की हार
भाई पे वार।
४
डल शिकारे
हत भाग हुए रे
भाई को हारे।
५
वादी में शादी
सैनिक भाई आया
कफन पाया।
अपर्णा थपलियाल”रानू”