कश्मकश
अजब कश्मकश है इस मन की,
न पाने की निराशा भी है,
अधूरेपन का सुख भी।
बावस्तगी की जुस्तजू भी है,
अलहदगी की अजमाइश भी।
एकांत प्रेम की परिभाषा भी है,
जग ज़ाहिर रुसवाई भी।🙂
अजब कश्मकश है इस मन की,
न पाने की निराशा भी है,
अधूरेपन का सुख भी।
बावस्तगी की जुस्तजू भी है,
अलहदगी की अजमाइश भी।
एकांत प्रेम की परिभाषा भी है,
जग ज़ाहिर रुसवाई भी।🙂