कशिश तेरी आँखों की…
कशिश तेरी आँखों की, इश्क़ में
नुमाइंदगी कहता है…
जुबान खामोश है मगर मोहब्बत
में बंदगी कहता है…
तूं न दर्द, न हमदर्द, न हमसफर
हो मेरी राहों का, मगर…
उलझ कर तुझसे मेरी नजरें तुझको
जिंदगी कहता है…
-के के राजीव
कशिश तेरी आँखों की, इश्क़ में
नुमाइंदगी कहता है…
जुबान खामोश है मगर मोहब्बत
में बंदगी कहता है…
तूं न दर्द, न हमदर्द, न हमसफर
हो मेरी राहों का, मगर…
उलझ कर तुझसे मेरी नजरें तुझको
जिंदगी कहता है…
-के के राजीव