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3 Dec 2021 · 1 min read

“कवि, समाज का दर्पण”

कवि, समाज का दर्पण,
हारी, कलम कहाँ लेखक की।
मन है, यदि सँतुष्ट,
चाह कब वाह, ध्वनी करतल की।।

एक साधना, है लेखन,
अनकही, कही, जीवन की।
पाठक सुधी, सुविज्ञ,
ज़रूरत क्या, महिमामंडन की।।

है उर का उद्भास,
कहानी, कथा, कभी निर्जन की।
करती है, प्रतिकार,
कभी भी, क्षमा नहीं दुर्जन की।।

कभी भाव, हैं कवि के,
मानो, कविता किसी स्वजन की।
लेख कोई, लगता ज्यों,
हो अभिव्यक्ति, मृदुल बचपन की।।

भक्ति-भाव दोहों मेँ, पद मेँ,
चौपाई, मानस की।
कहीँ वीर-रस, है प्रधान,
टँकार, युद्ध गर्जन की।।

गीत सुहाना, यदि बसन्त का,
ग़ज़ल, दास्ताँ ग़म की।
कहीँ किये श्रँगार, नायिका,
बाट तके, नायक की।।

कभी, हास-परिहास,
दिलाता याद मधुर, साजन की।
मन मयूर, मदमस्त,
घटा घनघोर, घिरी सावन की।।

सामाजिक सौहार्द्र, सरलता,
भेंट चढ़ गई, हठ की।
वर्णन विकृति, वर्जनाओं का,
साध सहज, समरस की।।

“आशा”, आविर्भाव आज,
तय हार, घनेरे तम की।
मिटे, मलिन-मालिन्य,
अहा, सीमा अब कहाँ गगन की..!

रचयिता-

Dr.asha kumar rastogi
M.D.(Medicine),DTCD
Ex.Senior Consultant Physician,district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist,sri Dwarika hospital,near sbi Muhamdi,dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964

Language: Hindi
Tag: गीत
25 Likes · 27 Comments · 836 Views
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