कवि परिचय
कवियों की महफ़िल में कवि परिचय दे रहे थे
कोई राष्ट्रीय कुछ अंतर्राष्ट्रीय अपने को कह रहे थे
मेरे परिचय का क्रम आया क्या परिचय बताऊँ
हिम्मत करके बोल पड़ा मैं सुमित्र कवि कहाऊँ
सुनकर सभी अचंभित कैसे यह नाम पाया
मैंने कहा ध्यान से सुनो कारण सहित बताया
राजपुत्र को राजकुमार युवराज कहते है
शेर के बच्चे को वनराज सब कहते है
गोत्र व गुरु परंपरा से सभी नाम पाते है
हम शिष्य है उस गुरु के जो युग द्रष्टा कहाते है
बत्तीस सौ पुस्तकों के लेखक युग व्यास माने जाते है
वेद मूर्ति तपोनिष्ट युग निर्माता विश्व गुरु कहलाते है
श्री राम आचार्य से जुड़े कवि विश्व मित्र माने जाते हैं
मैं चरण सेवक उन्हीं का जो गायत्री सुत माने जाते हैं
गुरु कृपा से साहित्यिक उपनाम सुमित्र हम पाते हैं ।
राजेश कौरव सुमित्र