Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2024 · 4 min read

कवि ‘घाघ’ की कहावतें

कवि ‘घाघ’ की कहावतें

भारत कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की कृषि का मुख्य आधार ऋतुएँ हैं। अच्छी वर्षा होगी तभी अन्न का उपज भरपूर होगा, अतः इसका ज्ञान होना कृषि के लिए अनिवार्य है। हमारे किसानों को इन सब बातों की जानकारी नहीं थी। उन्हें इस बात का पता नहीं होता था कि वर्षा कब होगी, कितना होगी, होगी की नहीं होगी। इस समस्या के निदान के लिए लोक भाषा में कहावतों का प्रचलन हुआ। ये ऐसी कहावतें थी जिन्हें लोग आँख मुंद के विश्वास करते थे। उस समय के महान कवि घाघ व भडूरी थे जिनकी कहावतों से किसानों को मौसम की जानकारी प्राप्त हो जाती थी। कहा जाता है कि वैज्ञानिकों के मौसम संबंधी अनुमान गलत हो सकते थे लेकिन ग्रामीण किसानों कि धारना थी कि घाघ की जो कहावतें थी वे सत्य साबित होती थी। उनकी मौसम और कृषि की जानकारी से सम्बन्धित मशहूर कहावतें इसप्रकार हैं

1. उतरा उतर दै गयी, हस्त गयो मुख मोरि।
भली विचारी चितरा, परजा लेई बहोरि।।
अथार्त- उतरा और हथिया नक्षत्र में यदि वर्षा नहीं भी बरसे और चित्रा में पानी बरस जाए तो खेती में अच्छी उपज होती है।

2. पुरुवा रोपे पूर किसान। आधा खखरी आधा धान।।
अर्थ- पूर्वा नक्षत्र में धान रोपने पर आधा धान और आधा खखडी पैदा होता है।

3. भादों की छठ चांदनी, जो अनुराधा होए।
ऊबड़- खाबड़ बोय दे, अन्न घनेरा होय।
अथार्त- यदि भादों के छठ तिथि को अनुराधा नक्षत्र पड़े तो ऊबड-खाबड़ जमींन में भी उस दिन बुआई कर देने से बहुत पैदावार होता है।

4. शुक्रवार की बादरी, रही सनीचर छाय।
तो यों भाखै भडूरी, बिन बरसे ना जाए।।
अथार्त- यदि शुक्रबार की बदरी, शनिवार तक छाए रह जाए तो वह बादल बिना बरसे नहीं जाता है।

5. सावन पहिले पाख में, दसमी रोहिनी होय।
महंग नाज अरु स्वल्प जाल, विरला विलसै कोय।
अथार्त- यदि श्रावन कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि को रोहिनी नक्षत्र हो तो समझ लेना चाहिए की अनाज महंगा होगा और वर्षा कम होगी, कुछ लोग ही सुखी रहेंगें।

6. दुश्मन की किरपा बुरी, भली मित्र की त्रास।
आंडगर गर्मी करें, जल बरसन की आस।।
अथार्त- शत्रु की दया की अपेक्षा मित्र की फटकार अच्छी है, जैसे- गर्मी अधिक पड़ने से दुख तो होता है लेकिन वर्षा बरसने की आस होने लगती है।

7. खेती, पाती, बीनती और घोड़े की तंग।
अपने हाथ संभारिये, लाख लोग हो संग।।
अथार्त- खेती, प्रार्थना-पत्र तथा घोड़े के लगाम को अपने ही हाथ में रखना चाहिए। किसी दुसरे पर विश्वास कर के नहीं छोड़ना चाहिए। भले ही लाखों लोग आपके साथ क्यों न हों।

8. ओझा कमिया, वैद किसान। आडू बैल और खेत मसान।।
अथार्त- नौकरी करने वाला ओझा, वैध का काम करने वाला किसान, बिना बधिया किया हुआ बैल (सांढ़) और मरघट के पास का खेत हानिकारक होता है।

9. गहिर न जोतै बोवै धान। सो घर कोठिला भरै किसान।।
अथार्त- खेत को बिना गहरा जोतकर धान बोने से धान की पैदवार अच्छी होती है।

10. पुरुआ धान ना रोपो भइये, एक धान सोलह पैया।
अथार्त- पूर्वा नक्षत्र में धान नहीं रोपना चाहिये, नहीं तो एक धान में सोलह पैया (मरा हुआ धान) निकलेगा।

11. काला बादल जी डरावे, भूरा बादल पानी लावै।
अर्थात- काले बादल सिर्फ डराते हैं और वारिश नहीं करते हैं लेकिन भूरा बादल बहुत पानी बरसाता है।

12. तीन सिंचाई तेरह गोड़, तब देखो गन्ने का पोर।
अर्थात- गन्ने की अच्छी फसल पाने के लिए कमसे कम तीन बार सिंचाई और तेरह बार गुड़ाई (खुदाई) करनी चाहिए तात्पर्य यह है कि सिंचाई के साथ साथ गुड़ाई भी आवश्यक है। जितनी ही गुड़ाई होगी खेत उतना ही अधिक पानी सोंखेगा जो गन्ने की फसल को लाभ पहुँचाता है।

13. गोबर, राखी, पाती सड़े, फिर खेती में दाना पडे।
अर्थात- दो फसलों के बीच में जो समय मिलता है, उसमें खेत में गोबर, राख और फ़सलों की पत्तियाँ डालकर उसे सड़ने देना चाहिए। आज के दिन में इसे ही हमलोग ऑर्गेनिक खेती कहते हैं, जिसका ज्ञान सैकड़ों वर्ष पूर्व अपने अनुभव से इन कवियों ने अपनी कहावतों के माध्यम से दे दिया था।

15. छोड़े खाद, जोत गहराई, फिर खेती का मजा दिखाई।
अर्थात- खाद डालकर खेत की गहराई से जुताई करने पर फ़सल की अच्छी पैदावार होती है।

16. गोबर, मैला, नीम की खली, या से खेती दुनी फली।
अर्थात- गोबर, मल और नीम की खली खेत में डालने से फ़सल की अच्छी पैदावार होती है। यह भी ऑर्गेनिक खेती का ही उदाहरण है, जिसे कवि घाघ आज से कई सौ साल पहले जानते थे।

17. सन के डंठल खेत छीटावै, तिनते लाभ चौगुना पावै।
अर्थात- सन (पटसन का एक प्रकार) जो रस्सा या जुट बनाने के काम आता है उसकी डंठल कोमल होती है और खेत में सड़ने के बाद प्राकृतिक खाद का काम करती है, जिससे अच्छी पैदावार होती है।

जब सभी किसानों को सिर्फ व्यवहारिक ज्ञान था और संस्थागत शिक्षा का अभाव था, उस समय पीढ़ियों से अर्जित अनुभव आधारित व्यवहारिक ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए लोक भाषा में कहावतें बहुत ही उपयोगी साबित हुई। इसे याद रखना बिना पढ़े लिखे लोगों के लिए आसान होता था तथा इसकी लोकप्रियता बढ़ जाती थी। इन कहावतों को माध्यम बनाकर कृषि और ज्योतिष ज्ञान को जन साधारण तक पहुँचाने का सफल प्रयास कवि घाघ और कवि भदूरी ने किया। इसलिए तत्कालीन समाज में उनकी लोकप्रियता बनी हुई थी।

Language: Hindi
22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
क्यूं हँसते है लोग दूसरे को असफल देखकर
क्यूं हँसते है लोग दूसरे को असफल देखकर
Praveen Sain
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
अंतिम युग कलियुग मानो, इसमें अँधकार चरम पर होगा।
आर.एस. 'प्रीतम'
गंगनाँगना छंद विधान ( सउदाहरण )
गंगनाँगना छंद विधान ( सउदाहरण )
Subhash Singhai
काव्य का राज़
काव्य का राज़
Mangilal 713
मै खामोश हूँ , कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का  इम्तेहान न ले ,
मै खामोश हूँ , कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
Neelofar Khan
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अब तक मुकम्मल नहीं हो सका आसमां,
अब तक मुकम्मल नहीं हो सका आसमां,
Anil Mishra Prahari
करुण पुकार
करुण पुकार
Pushpa Tiwari
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
बितियाँ मेरी सब बात सुण लेना।
बितियाँ मेरी सब बात सुण लेना।
Anil chobisa
प्रार्थना के स्वर
प्रार्थना के स्वर
Suryakant Dwivedi
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
बड़ा मज़ा आता है,
बड़ा मज़ा आता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
रैन  स्वप्न  की  उर्वशी, मौन  प्रणय की प्यास ।
रैन स्वप्न की उर्वशी, मौन प्रणय की प्यास ।
sushil sarna
सुपारी
सुपारी
Dr. Kishan tandon kranti
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
Sunil Suman
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
Paras Nath Jha
!..........!
!..........!
शेखर सिंह
लगाव का चिराग बुझता नहीं
लगाव का चिराग बुझता नहीं
Seema gupta,Alwar
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
SHAMA PARVEEN
देख रही हूँ जी भर कर अंधेरे को
देख रही हूँ जी भर कर अंधेरे को
ruby kumari
गुज़िश्ता साल -नज़्म
गुज़िश्ता साल -नज़्म
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
तमन्ना उसे प्यार से जीत लाना।
तमन्ना उसे प्यार से जीत लाना।
सत्य कुमार प्रेमी
बेहिसाब सवालों के तूफान।
बेहिसाब सवालों के तूफान।
Taj Mohammad
3264.*पूर्णिका*
3264.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...