कवि का दायित्व
भोजपुरी गीतकारों, गायकों और फिल्मकारों की मनुवादी, सामंतवादी और पितृसत्तात्मक सोच ने भोजपुरिया समाज का बेड़ा ग़र्क़ कर दिया है। बाबू साहेब, पंडित जी और यादव जी के नाम से शुरू होने वाले द्विअर्थी, अश्लील और फूहड़ गीतों को सुन-सुनकर हमारे कान पक चुके हैं।
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