कवित्य
[जल ही जीवन]
जल महा अनमोल,भैया बेच रहे तोल ।जल बिन जग जीव की, जिंदगी कौन काम की ।।
जल को मान करो , बिरथा न वरबाद करो ।
जल को तरसे जीव ,कीमत जानत बारी की ।।
जल से बनो जीवन ,जीव-जन्तु और पादप ।।
जल को बचाएँ रखौ ,जान खास -आम की ।
अरे नर -नारी तुम ,पानी को जतन करो ।
जल गए परलोक तो ,कूच करो शमसान की ।।
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जग सूनो वारि बिन , दल बिन पेड सूनो ।
कानन सूनो पेड बिन , शशि बिन रात हैं ।।
कूप सूनो जल बिन ,नृप बिन राज सूनो ।
बाग सूनो सुमन बिन , वर बिन बरात है ।।
मठ सूनो देव बिन , नार बिन घर सूनो ।
बादल बिन बिजली , सूनी बरसात है ।।
ताल सूनो जल बिन , लाल बिन कुल सूनो ।
प्रहरी बिन राज सूनो ,सदा हो जात है ।।
शेख जाफर खान