कवित्त / धनाक्षरी / मनहरण छंद
कवित्त / धनाक्षरी / मनहरण छंद
धीरे धीरे रात रात, बढी दिन उजालों में l
छम छम गम नाचे, दिन के उजालों में ll
तम तम है नियम, तम तम है संयम l
गम गम भर आये, मदिरा के प्यालों में ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
मेरे एक गीत की पंक्तियों को इस छंद में बदला है , आपकी टिप्पड़ियों के लिए आभार l
उस गीत से कुछ और लेनी है बदलाव के लिए l