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31 May 2024 · 1 min read

कविता

कविता (दुर्मिल सवैया )

कविता न छुए दिल को जब से तबसे न कहो उसको कविता।
रस हो जिसमें मदमस्त करे तब जान उसे कविता सरिता।
जिसमें बहता मधु सिन्धु सदा लहरें उठती उर में कसती।
कविता जिसमें रस प्यार दिखे वनिता बन के सब में रहती।
डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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