कविता
शिव छंद
प्रीति में पराग है।
सौम्य नम्र राग है।
सभ्यता शुमार है।
दिव्यता अपार है।
राग द्वेष मुक्त है।
द्रोह दम्भ लुप्त हैं।
होम अग्नि पावनी।
प्रीति रंग सावनी।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
शिव छंद
प्रीति में पराग है।
सौम्य नम्र राग है।
सभ्यता शुमार है।
दिव्यता अपार है।
राग द्वेष मुक्त है।
द्रोह दम्भ लुप्त हैं।
होम अग्नि पावनी।
प्रीति रंग सावनी।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।