कविता
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प्रहार की तरह तीव्र होनी चाहिये कवितायें।
दिल छूये, दिमाग झकझोर सके कवितायें।
आक्रोश उगलती हुई आग होती हों कवितायें।
प्यार उपजाये उपजाऊ होनी चाहिये कवितायें।
तुम्हें जीवन के सिद्धान्त बताती हुई हो कविताएं।
जीवन के आदर्श स्थापित को प्रेरित करे कवितायें।
साहित्य में तेरा इतिहास लिखती हुई हों कवितायें।
समाज में मानवता धारण करती हुई हों कवितायें।
प्रेम के गीत और शान्ति की दूत हो कवितायें।
युद्ध को ललकारती हुई हो कवि और कवितायें।
हमारी व तुम्हारी भावनाओं को उकेरे कवितायें।
दुख और दर्द मिटाने को उठ खड़ी हों कवितायें।
कवियों की नहीं आमजन की हों सारी कवितायें।
हमारे संकल्प को सम्मानित करती हों कवितायें।
हमारे स्वस्थ लक्ष्य को उकेरती हुई हो कवितायें।
हमें हमारी पहचान करती,बताती हुई हों कवितायें।
जीवन में आस्था वर्णित करे तेरी सब कवितायें।
आस्था में धर्म का विधिवत कर्म बने कवितायें।
कर्म के अधिकार को कर्तव्य बताती हो कवितायें।
हम कवि हैं बस तुम्हारी ही लिखते रहें कवितायें।
———————23/12/21——————–