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30 Nov 2022 · 1 min read

कविता

🦚
कविता
०००००
किससे कहे कैसे कहे कवि कौन सुनता पीर को ?
जब टीस होती है बड़ी नैना बहाते नीर को ।।
तब काव्य की धारा हृदय से फूटती कविता झरे ।
कवि के हृदय के प्रश्न हल कागज कलम कविता करे ।।
०००
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🪔🪔🪔

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