कविता
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कविता
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किससे कहे कैसे कहे कवि कौन सुनता पीर को ?
जब टीस होती है बड़ी नैना बहाते नीर को ।।
तब काव्य की धारा हृदय से फूटती कविता झरे ।
कवि के हृदय के प्रश्न हल कागज कलम कविता करे ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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