कविता
शब्दों में भरे जो भाव वह कविता कहाती है
हृदय को दे हिलोरें जो वह कविता कहाती है
किसी के प्रेम में आकर नयन में अश्रु जो ला दे
गला अवरुद्ध जो कर दे वह कविता कहाती है
करें जो इष्ट के सम्मुख वो आरती भी तो है कविता
देते राष्ट्र को सम्मान जन गण मन वो है कविता
तुलसी ने रची जो थी महागाथा वो रामायण
घर घर में जो रक्खी पूजाघर में वो भी है कविता