कविता हृदय से फूटती
कविता हृदय से फूटती
मानस पटल पर कौंधती
जब भावना का ज्वार हो
लिपि का वृहद भंडार हो
लय, ताल स्वर को बाँधकर
सरिता सदृश ये कूदती
कुछ और कवि की कल्पना
शब्दों, रसों को घोलना
कविता मधुर शृङ्गार कर
उन्मत्त होकर डोलती
जब सत्य का संज्ञान हो
कवि का वही आह्वान हो
तब क्रांति का आकार ले
कविता समर में जूझती
विश्व कविता दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
(जगदीश शर्मा)