कविता — भारत फिर विश्व गुरु बन जाएगा
घुटन सी थी जो सांसों में कुछ वर्षों पहले,
दूर अब वह होने लगी है।
वायु शांति अमन की अब,
देह समाज में बहने लगी है।।
महंगाई भ्रष्टाचार की अब कोई फिक्र नहीं,
भुखमरी बीते दिनों की बात लगती है।
बेरोजगारी भी खत्म हो रही,
नारी शक्ति की चहुं ओर जयकार लगती है।।
हर तन को कपड़ा मिलेगा अब,
ठंड से अपनी न कोई जान गंवाएगा।
बच्चे होंगे शिक्षित गरीब के भी,
सभ्य हर नागरिक कहलाएगा।।
व्यर्थ न जाएगी शहीदों की शहादत,
आजादी को हर हाल कायम रखा जाएगा।
सम्मान होगा हर सैनिक का अब,
रामराज्य का स्वप्न साकार हो जाएगा।।
मिल गया है दूसरा पटेल आज इस देश को,
देश फिर से सोने की चिड़िया बन जाएगा।
सबका साथ सबका विकास होगा अब,
भारत फिर विश्व गुरु बन जाएगा।।
—-
अशोक कुमार छाबड़ा
गुरुग्राम।